
बलिया में एसपी ने नए अपराधिक कानून के बारे छात्रों को किया जागरूक
एससी कालेज में आयोजित की गई जन-जागरूकता अभियान
भारतीय न्याय संहिता (BNS)- 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)-2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)-2023 के बारे में दी गई जानकारी
बलिया। पुलिस महानिदेशक उप्र, लखनऊ द्वारा चलाये जा रहे नए अपराधिक कानून जन- जागरुकता कार्यक्रम के तहत गुरुवार को पुलिस अधीक्षक बलिया ओमवीर सिंह द्वारा सतीश चंद्र डिग्री कॉलेज, बलिया में छात्रों को भारतीय न्याय संहिता (BNS)- 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)-2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)-2023 आदि से सम्बन्धित बिन्दुओं के बारें में विस्तार रूप से जागरूक किया गया।

अपराधों का विविधीकरण:
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में किए गए ये बदलाव भारतीय आपराधिक कानून को अधिक प्रभावी और समकालीन बनाने के लिए किए गए हैं। जिससे नागरिकों की सुरक्षा और न्यायिक व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकेगा।
संगठित अपराधः-
संगठित अपराध और छोटे संगठित अपराधों को बीएनएस की धारा 111 में परिभाषित किया गया है। जिसके अन्तर्गत, अपहरण, जमीन कब्जा, साइबर अपराध और अन्य गंभीर अपराध शामिल हैं। धारा 43 बीएनएस के अनुसार “रात” की परिभाषा को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले” के रूप में परिभाषित किया गया है। जबकि धारा 41के अनुसार “आग” के अन्तर्गत आग या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा नुकसान पहुंचाना” शामिल है। सभी प्रारंभिक अपराधों – षड्यंत्र, प्रयास और उकसाना को एक ही अध्याय के अंतर्गत रखा है।जबकि ये आईपीसी में अलग-अलग अध्यायों में थे, उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति चोरी करने का प्रयास करता है लेकिन असफल रहता है, और दूसरा व्यक्ति उसे उकसाता है, तो अब दोनों अपराधों को एक ही अध्याय के तहत देखा जाएगा। जिससे अभियोजन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। धारा 337 बीएनएस के तहत सरकारी दस्तावेजों की जालसाजी जैसे – आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र को स्पष्ट रूप से अपराध माना गया।


हिट एंड रन (लापरवाही से मौत)
धारा 106 बीएनएस के तहत हिट एंड रन के मामलों के लिए सजा को बढ़ाकर 10 साल तक कर दिया गया है, धारा 113 बीएनएस के तहत पहली बार आतंकवादी गतिविधियों को अपराध घोषित किया गया है।
जो गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 से प्रेरित है।
झूठी सूचना फैलाने पर दंड धारा 353 के तहत गलत सूचनाओं को जान बूझकर फैलाने, प्रकाशित करने या प्रसारित करने को अपराध घोषित करती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति सरकार की किसी नीति के बारे में झूठी खबर फैलाकर जनता को उकसाता है, तो अब उसे दंडित किया जा सकता है।
फर्जी खबर- धारा 197 बीएनएस के तहत गलत या भ्रामक जानकारी जो भारत की संप्रभुता को खतरा पहुँचाती है, उसे भी एक अपराधमाना गया है।
धोखे से यौन संबंध बनाना अपराध- धारा 69 बीएनएस के तहत जो कोई व्यक्ति झूठे वादे, लालच, या धोखे से किसी को यौन संबंध के लिए सहमत कराता है एवं यौन संबंध बनाने को अपराध घोषित करता है। यह प्रावधान पहले आईपीसी में स्पष्ट रूप से मौजूद नहीं था।
गैंग रेप प्रावधान का विस्तार
धारा 70(2)- आईपीसी में गैंग रेप का प्रावधान पहले धारा 376DA के तहत था, जो केवल 16 साल से कम उम्र की पीड़िताओं पर लागू होता था।
बीएनएस में धारा 70(2) के तहत इस उम्र सीमा को बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया है।
अन्य अपराध:- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को अध्याय पाँच में एक साथ लाया गया है, जो पहले चार अलग-अलग अध्यायों में थे।
सामुदायिक सेवा- दंड के रूप में “सामुदायिक सेवा” को शामिल किया गया है, मामूली चोरी या सार्वजनिक स्थान पर नशे में हंगामा करना। विदेशों में किए गए अपराध- पर मुकदमा चलाने का प्रावधान जोड़ा गया है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
अध्याय और धाराएँ : BNSS में 39 अध्याय और 531 धाराएँ हैं, जबकि पुरानी CrPC में 37 अध्याय और 484 धाराएँ थीं। BNSS में 177 प्रावधानों में संशोधन, 14 धाराएँ हटाई गई और 9 नई धाराएँ जोड़ी गई हैं।
ई-एफआईआर:- BNSS में ई-एफआईआर के तहत पीड़ित कहीं से भी डिजिटल रूप से शिकायत दर्ज करा सकते हैं। साथ ही, वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की अनुमति दी गई है।
जीरो एफआईआर
इसे अधिकार क्षेत्र की बाध्यता के बिना किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जा सकता है। पुलिस इसे बाद में संबंधित थाने में भेजती है।
वीडियो-कॉन्फ्रेंस
मुकदमे, अपील की कार्यवाही, लोक सेवकों और पुलिस अधिकारियों सहित बयानों की रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक मोड में की जा सकती है और आरोपी का बयान भी वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दर्ज किया जा सकता है।
फोरेंसिक
इससे जाँच वैज्ञानिक और साक्ष्य-आधारित होगी। अब फोरेंसिक विशेषज्ञ सबूत इकट्ठा करने के लिए मोबाइल फोन या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पर पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड करने के लिए अपराध स्थलों का दौरा करेंगे।
ई-संचार और ई-परीक्षण सभी सुनवाई, पूछताछ और कार्यवाही इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से की जा सकती है। इसके अलावा, डिजिटल साक्ष्य को जांच का हिस्सा बनाया गया है।
पुलिस हिरासत (रिमांड) पुलिस अब आरोपी को 15 दिनों तक हिरासत में रख सकती है।
हथकड़ी का उपयोग
BNSS में कुछ मामलों में हथकड़ी लगाने की अनुमति है।
चिकित्सा परीक्षण बीएनएसएस में प्रावधान है कि कोई भी पुलिस अधिकारी बलात्कार के मामलों सहित कुछ मामलों में अभियुक्त की चिकित्सा जांच का अनुरोध कर सकता है।
प्ली बार्गेनिंग
बचाव और अभियोजन पक्ष के बीच एक समझौता होता है जहां अभियुक्त कम अपराध या कम सजा के लिए दोषी माने जाने का निवेदन करता है। इसे 2005 में सीआरपीसी में जोड़ा गया।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को दस्तावेज़ के रूप में मान्यता देना और औपनिवेशिक शब्दावली को हटाकर सरल भाषा का उपयोग करना है।
पुराने अधिनियम 167 धाराएँ थी जबकि नए अधिनियम में कुल 170 धाराएँ हैं। पुराने अधिनियम की 23 धाराओं को संशोधित किया गया है, 5 धाराओं को निरस्त किया गया है और एक नई धारा जोड़ी गई है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में प्रमुख बदलाव
शब्दावली और भाषा का आधुनिकीकरण-
“पागल” जैसे आपत्तिजनक शब्दों को हटाकर “विकृत चित्त वाला व्यक्ति” जैसे अधिक सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है। “ज्यूरी,” “बैरिस्टर” और “क्राउन प्रतिनिधि” जैसी औपनिवेशिक शब्दावली को हटा दिया गया है और उनकी जगह “एडवोकेट” जैसे समकालीन शब्द लाए गए हैं।
संयुक्त परीक्षणों में स्पष्टीकरण:-
कई अभियुक्तों पर संयुक्त मुकदमे के संबंध में स्पष्टता लाई गई है। अब, यदि कोई अभियुक्त फरार हो जाता है या गिरफ्तारी वारंट का जवाब नहीं देता है, तो भी संयुक्त मुकदमा जारी रह सकता है।