
प्रभु श्रीराम का मनाया गया जन्मोत्सव, श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
ब्रेक डांस, ट्रेन, मिक्की माउस व छोटे झूले का लोगों ने उठाया आनंद
बलिया। नगर से सटे मिड्ढा गांव स्थित मां काली मंदिर पर चल रहे श्री हनुमत प्राण प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ में शनिवार की रात्रि अयोध्या से पधारी साध्वी लाडली किशोरी ने श्रीराम कथा में प्रभु श्रीराम जन्मोत्सव का श्रोताओं को रसपान कराया। इस दौरान श्रोताओं ने सोहर गीत पर जमकर नृत्य किया। इसके पूर्व हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा विद्वान पंडितों द्वारा कराई गई।

कथा के क्रम में लाडली किशोरी कहती है कि अयोध्या के राजा दशरथ की कोई संतान नहीं थी। पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए उन्होंने गुरु वशिष्ठ मुनि के कहने पर यज्ञ किया। जिसके बाद माता कौशल्या, कैकेयी व सुमित्रा को कुछ दिनों पर गर्भ धारण हुआ। इसकी जानकारी होने पर राजा दशरथ समेत अयोध्या की प्रजा बड़ी प्रफुल्लित हुई। कहती है कि एक दिन ऐसा समय आया कि अयोध्या में किलकारियां गुजने का समय आ गया। फिर क्या दासी महाराज दशरथ के पास पहुंचती है कि महाराज बधाई हो कौशल्या ने पुत्र रत्न को जन्म दिया है। यह खुशी सुन राजा दशरथ दासी को स्वर्ण का हार दान में दे दिया। तभी दूसरी दासी आती है कि महाराज कैकैयी ने पुत्ररत्न को जन्म दिया है। फिर राजा ने उसी से भी स्वर्ण मुद्राएं प्रदान कर दिया। इसके बाद तीसरी दासी महाराज के पास पहुंचती है और कहती है कि महाराज सुमित्रा ने दो पुत्रों को जन्म दिया है। यह सुन राजा दशरथ का खुशी का ठिकाना ना रहा। उन्होंने दासी को स्वर्ण मुद्राएं प्रदान किया। इसके बाद पूरी प्रजा में मिष्ठान वितरण कराया। वहीं पूरी अयोध्या में सोहर, मांगलिक गीत, नृत्य व वादन वर प्रजा करने लगी। यह प्रसंग सुन कथा श्रवण कर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। अंत में आरती की गई और प्रसाद का वितरण किया गया।