प्रभु श्रीराम ने खर-दूषण, ताड़का का किया वध, जनकपुर नगर का किया भ्रमण

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प्रभु श्रीराम ने खर-दूषण, ताड़का का किया वध, जनकपुर नगर का किया भ्रमण

वाराणसी के विद्वान पंडितों ने मां काली-हनुमान मंदिर की महाआरती, हजारों श्रद्धालु हुए सम्मलित


बलिया। नगर से सटे मिड्ढा गांव स्थित मां काली मंदिर पर चल रहे श्री हनुमत प्राण प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ में रविवार की रात्रि अयोध्या से पधारी साध्वी लाडली किशोरी ने श्रीराम कथा में गुरु विश्वामित्र द्वारा प्रभु श्रीराम व लक्ष्मण राजा दशरथ द्वारा मांगना, खर-दूषण वध, ताड़का का वध एवं प्रभु श्रीराम व लक्ष्मण द्वारा नगर भ्रमण का श्रोताओं को रसपान कराया। इसके पूर्व मां काली व हनुमान जी के मंदिर पर वाराणसी से पधारें विद्वान पंडितों द्वारा महाआरती की गई। जिसमें हजारों क्षेत्र के नर-नारियों ने प्रतिभाग किया।


कथा के क्रम में लाडली किशोरी कहती है कि गुरु विश्वामित्र राजा दशरथ के यहां प्रभु श्रीराम व लक्ष्मण को राक्षसों के उत्पात से मुक्ति दिलाने के लिए मांगने पहुंचते है। गुरु के पहुंचने पर राजा दशरथ उनका स्वागत करते हुए दरबार में ले जाते है और आने का कारण पूछते है। जिस पर गुरु विश्वामित्र कहते है कि राजन दिन पर दिन राक्षसों के आतंक फैलता जा रहा है। वह यज्ञ, पूजन आदि ऋषियों को नहीं करने दे रहे है। इनसे मुक्ति दिलाने के लिए आपके पुत्र श्रीराम व लक्ष्मण को मांगने आए है। यह सुन राजा के होश उड़ जाते है और कहते है कि मुनिवर आप हमारे प्राण मांग लीजिए, लेकिन मेरे दोनों पुत्रों को मत मांगिए क्योकि वे अभी वह बालक है। इसको लेकर राजन व गुरु के बीच संवाद होता है।

अंत में राजा दशरथ को श्रीराम व लक्ष्मण को गुरु विश्वामित्र को सौंपना पड़ता है। इसके बाद गुरु विश्वामित्र दोनों को लेकर आश्रम पहुंचते है। जहां पुन: यज्ञ आरम्भ होता है और राक्षस खर-दूषण उत्पात मचाना शुरू कर देते है। जिन्हें प्रभु श्रीराम ने वध कर दिया। इसके आद मुनिवर आगे बढ़ते है, जहां रास्ते में ताड़का का प्रभु श्रीराम वध करते है। तत्पश्चात जनकपुर पहुंचते है, जहां नगर का भ्रमण करते है। जिन्हें देखकर वहां की नर-नरियां, युवतियां मोहित जाती है। इस दौरान श्रोताओं ने देर रात तक भक्ति का रसपान किया। अंत में प्रभु श्रीराम की आरती की गई और प्रसाद का वितरण किया गया।

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