बलिया में गाजियाबाद कांड को लेकर न्यायिक कार्य से विरत रहे अधिवक्ता
न्यायिक कार्य से विरत रहने का अधिवक्ताओं ने प्रस्ताव किया पारित
बलिया। क्रिमिनल एंड रेवेन्यू बार एसोसिएशन व सिविल बार एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में अधिवक्ताओं की बैठक बार भवन के सभागार में सोमवार को आयोजित किया गया। जिसमें बार कौंसिल ऑफ यूपी व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद के प्रस्ताव पर पुरे न्यायिक कार्य से विरत रहने का प्रस्ताव पारित किया गया।
इस अवसर पर वकीलों ने गाजियाबाद की घटना की निंदा करते हुए कहा कि तीन तरफ से प्रताड़ित करने का कार्य न्यायालयों द्वारा किया जा रहा है। कहा कि यदि अधिवक्ता किसी न्यायिक अधिकारी द्वारा किए जा रहे गलत कृत्य के विरूद्ध कोई बात कहता है तो सम्बन्धित न्यायिक अधिकारी उसके विरुद्ध तत्काल अपराधिक अवमानना का संदर्भ उच्च न्यायालय में प्रेषित कर देता है और उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा उक्त संदर्भ पर सुनवाई करते हुए अधिवक्ता को अपना पक्ष रखने से रोककर बिना शर्त माफी मांगने के लिए मजबूर किया जाता है। उसके अलावा अधिवक्ताओ को न्यायालय कक्ष में पुलिस बुलाकर लाठी से पीटने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गयी है। इसके साथ ही अधिवक्ताओं द्वारा ऐसे किसी न्यायिक अधिकारी द्वारा की जा रही मनमानी के विरोध में हडताल करने पर आपराधिक अवमानना की कार्यवाही भी प्रस्तावित कर दी जाती है। कुल मिलाकर यह माना जा रहा है कि अधिवक्ता को किसी भी प्रकार से अपनी बात कहने का अधिकार नही रह गया है। यह परिस्थिति असहनीय है। जिसे किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस मौके पर बार के अध्यक्ष रणजीत सिंह साधु, सुरेंद्र नाथ तिवारी, देवेंद्र नाथ मिश्र, सुभाष चंद्र श्रीवास्तव, जेपी सिंह, मनोज राय हंस, कौशल कुमार सिंह, अजय सिंह, राजेश सिंह, अखिलेश सिंह, योगेश्वर यादव, अवध नारायण यादव, शिवकुमार तिवारी, मिथिलेश सिंह चमन आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।