देश के बटवारे में विस्थापितों के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस:DM

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*देश के बटवारे में विस्थापितों के संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस:DM*

*DM ने त्रासदी के दौरान प्रार्णोत्सर्ग करने वाले लोगों की याद में दो मिनट मौन रख दी श्रद्धाजलि*

बलिया। 14 अगस्त को ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ पर जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने कलेक्ट्रेट सभागार में दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद कलेक्ट्रेट में लगाए गए अभिलेख/चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन किया। वहीं त्रासदी के दौरान प्रार्णोत्सर्ग करने वाले लोगों की याद में दो मिनट का मौन रख श्रद्धाजलि दी। इस दौरान विभाजन त्रासदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन एलईडी स्क्रीन पर दिखाया गया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि ‘‘देश के बटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाईयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष एवं बलिदान के याद में 14 अगस्त को ‘‘विभाजन विभीषिता स्मृति दिवस’’ मनाया जा रहा है। जिलाधिकारी ने ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ की पृष्ठ भूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत का विभाजन अभूतपूर्व मानव विस्थापन और मजबूरी में पलायन की दर्दनाक कहानी है। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें लाखों लोग अजनबियों के बीच एकदम वितरित वातावरण में नया आशियाना तालाश रहे थे। विश्वास व धार्मिक आधार पर एक हिंसक विभाजन की कहानी होने के अतिरिक्त यह एक बात की भी कहानी है, कैसे एक जीवन शैली एक वर्षाे पुराने सह-अस्तिव का युग अचानक और नाटकी रूप से समाप्त हो गया। लगभग 60 लाख गैर मुस्लमान उस क्षेत्र से निकल आए, जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया। 65 लाख मुसलमान पंजाब, दिल्ली, आदि के भारतीय हिस्सों से पश्चिमी पाकिस्तान चके गये थे। 20 लाख गैर मुसलमान पूर्वी बंगाल, जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान से निकल कर पश्चिम बंगाल आए, 1950 में 20 लाख और गैर मुस्लमान पश्चिम बंगाल आए। 10 लाख मुसलमान पश्चिम बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान चले गये। कहा कि विभाजन विभीषिका इतनी भयावह थी और इतने लंबे काल तक चली कि दशकों बाद तक लोग पाकिस्तान और बाग्लादेश से बड़ी संख्या में पलायन करते रहे। इस समय बंगाल का भी विभाजन हुआ। इसमें बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया था जो सन् 1971 में बाग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। इस मौके पर सीडीओ ओजस्वी राज, सिटी मजिस्ट्रेट आसाराम शर्मा, डीडीओ, सीआरओ त्रिभुवन सिंह, सीएमओ एवं जिला स्तरीय अधिकारीगण मौजूद रहे।

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