
बलिया वसूली कांड…
अफसरों ने ही रखी नींव, दरोगा सिपाही में कहां है दम
किसी आईपीएस तक कब पहुंचेगी जांच की आंच
शासन ने जारी किया है एक एसपी खिलाफ जांच का आदेश
बलिया। चर्चित यूपी बिहार स्थित भरौली चौराहा पर 24 जुलाई की रात एडीजी जोन वाराणसी व डीआईजी आजमगढ़ ने छापेमारी कर प्रतिदिन लाखों की अवैध वसूली का खुलासा किया था। उस खुलेआम वसूली की जानकारी अफसरों को भी होगी। लेकिन उन अफसरों ने शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया। जिसका नतीजा रहा कि फुंसी एक नासूर बन गया। इस प्रकरण में अब तक की कार्रवाई केवल दरोगा, सिपाही व दलाल तक ही सीमित है। सवाल यह उठता है कि आखिर इनकी तैनाती करने वाले आईपीएस क्यों बचे हैं। हालांकि शासन ने एक एसपी के खिलाफ जांच का आदेश जारी कर दिया है।

आपको बता दें कि सीमावर्ती थानों में अवैध वसूली का धंधा तो अंग्रेजों के जमाने से चल रहा है। बताया जाता है कि गंगा पर पुल नहीं होने पर नाव से अनाज आदि की तस्करी होती थी। समय बदलता गया और वसूली का तरीका भी बदलता गया। लेकिन दो वर्ष पहले तत्कालीन एसपी ने सीमावर्ती इलाके के थानों पर एसआई को प्रभारी के तौर पर तैनात किया। यहीं से नए तरीके से अवैध वसूली की शुरुआत हुई। इसके चलते पहले से ही मलाईदार थाना में शुमार नरही थाने की वसूली कई गुना अधिक हो गई। सूत्रों की माने तो अफसरों का टारगेट पूरा करने के लिए थाना प्रभारी जी-जान लगाते रहे और अधिक से अधिक वसूली के लिए हर तरह की तस्करी को बढ़ावा देते रहे। बिना अफसरों की कृपा के खुलेआम अवैध वसूली करने का दम दरोगा सिपाही में संभव नहीं है। तभी तो कई बार हुई शिकायत को उच्चाधिकारी भी दबाते रहे। अभी भी केवल दरोगा, सिपाही व दलाल के बीच ही जांच घूम रही है, लेकिन किसी बड़े अफसरों के यहां नहीं पहुंच रही है।