पोस्टमार्टम हाउस में सड़ रहा शव, सीएमओ व सीएमएस ले रहे एसी का मजा
जिलाधिकारी के निरीक्षण पर भी लोगों ने उठाए सवाल
पोस्टमार्टम हाउस का फ्रीजर बना शोपीस
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर दिखा तीमारदारों व परिजनों का आक्रोश
बलिया। भीषण गर्मी के कारण एक तरफ जहां जनपद में त्राहिमाम मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस में फ्रीजर बंद होने के कारण शव सड़ रहा है। जबकि जिला अस्पताल कैंपस में ही स्थित दफ्तर में सीएमएस और सीएमओ एसी का मजा ले रहे हैं। सबसे हैरत की बात तो यह है कि अभी दो दिन पहले ही जिलाधिकारी रवींद्र कुमार अपने औचक निरीक्षण में सब कुछ ओके पाए थे और अपने मातहतों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए थे। जबकि बुधवार को जिला अस्पताल yस्थित पोस्टमार्टम हाउस के बाहर जिस तरह का आक्रोश तीमारदारों व परिजनों में देखा गया, उससे यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि बलिया जनपद में जिला अस्पताल का संचालन रामभरोसे चल रहा है और जो कुछ भी हो रहा है सबकी साठगांठ से हो रहा है।
आपको बता दें कि कुम्हैला गांव में मंगलवार की शाम दो युवक स्नान करते समय पोखरे में डूब गए थे, जिससे दोनों की मौत हो गई थी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस में भेज दिया था। परिजनों का आरोप है कि पोस्टमार्टम हाउस में डीप फ्रीजर चालू न होने के कारण शव बुरी तरह से सड़ गया है तथा बदबू आ रहा है। परिजनों ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार सीमएओ व सीएमएस खुद एसी का मजा ले रहे हैं। लेकिन शव पोस्टमार्टम हाउस में सड़ रहा है। इसकी कोई परवाह उन्हें नहीं है। बताया कि जिला अस्पताल का यदि यही रवैया आगे भी रहा तो आने वाले दिनों आंदोलन का शंखनाद किया जाएगा। इस बाबत सीएमओ डा. विजयपति द्विवेदी ने बताया कि तीमारदारों का बयान वैज्ञानिक बयान नहीं है। पोस्टमार्टम हाउस में फ्रीजर चल रहा है। लोगों का बयान बेबुनियाद है। वैसे भी इस भीषण गर्मी में शव सड़ ही जाता है और उसमें से बदबू आ ही जाती है।
इनसेट….
निरीक्षण करते है या फिर कोरम पूरा करते हैं डीएम!
बलिया। तीमारदारों व परिजनों का आरोप यह भी था कि अभी दो दिन पहले ही जिलाधिकारी रवींद्र कुमार जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किए थे। इस दौरान उन्होंने अपने मातहतों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए थे। लेकिन अफसोस पोस्टमार्टम हाउस पर शायद डीएम साहब की नजरें इनायत नहीं हुई या फिर जानबूझ कर इनायत नहीं किए।