..तो इसलिए हाट सीट के रूप में जानी जाती है बलिया संसदीय सीट
कांग्रेस के चंद्रिका प्रसाद को 45.2 प्रतिशत मतों से दी थी मात
बलिया। जेपी आंदोलन में कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद चंद्रशेखर ने अपना पहला चुनाव 1977 में भारतीय लोकदल के बैनर तले बलिया लोकसभा क्षेत्र से लड़ा था। उस समय उनके सामने कांग्रेस से चंद्रिका प्रसाद थे। उस समय चंद्रशेखर को कुल पड़े वैध मतों का 71.0 प्रतिशत मत मिले थे।
अपने बागी तेवर के लिए मशहूर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के कारण पूर्वांचल ही नहीं देश में बलिया संसदीय सीट हॉट सीट के रूप में जानी जाती है। चंद्रशेखर जब तक सियासत में सक्रिय रहे, हर चुनाव में पूरे देश की नजरें बलिया पर टिकी रहती थी। बलिया संसदीय क्षेत्र का आठ बार प्रतिनिधित्व करने वाले चंद्रशेखर के नाम ही यहां से सबसे बड़ी जीत दर्ज करने का भी रिकार्ड है। 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव में शिक्षाविद् मुरली मनोहर ने 6431 मतों से जीत दर्ज की थी। यह बलिया के चुनावी इतिहास में सबसे कम अंतर से जीत है। उन्होंने प्रख्यात शिक्षाविद पं मदन मोहन मालवीय के सबसे छोटे पुत्र एवं कांग्रेस के गोविंद मालवीय को 6431 मतों से हराया था। हालांकि उस समय कुल वोटरों की संख्या मात्र 3,68,287 थी। इसमें 1,26,480 (34.3 प्रतिशत) मत पोल हुए थे। जेपी आंदोलन में कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद चंद्रशेखर ने अपना पहला चुनाव 1977 में भारतीय लोकदल के बैनर तले बलिया लोकसभा क्षेत्र से लड़ा था। उस समय उनके सामने कांग्रेस से चंद्रिका प्रसाद थे। उस समय चंद्रशेखर को कुल पड़े वैद्य मतों का 71.0 प्रतिशत मत मिले थे। 2,62,641 मत पाकर चंद्रशेखर ने कांग्रेस के चंद्रिका प्रसाद (95,423) को 167,218 (45.2 प्रतिशत) मतों से हराया था।