….मुहब्बत से बढ़कर नहीं रंग कोई
बलिया। शहर के निकट रामपुर महावल स्थित डॉ अरविंद म्यूजिक एकैडमी के बैनर तले व साहित्य चेतन समाज के तत्वावधान में महामूर्ख सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। होली हास-परिहास व अप्रैल फूल के अवसर पर लोगों ने हँसी – ठिठोली के बीच एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर वाद्य यंत्रों के बीच एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की।
मां सरस्वती की वंदना के पश्चात अध्यक्षता करते हुए डॉ शिवकुमार कौशिकेय ने कहा कि वर्षों से चला आ रहा यह पारंपरिक कार्यक्रम बलिया की पहचान है। पहले यह चौक स्थित शहीद पार्क में होता था। कोरोना बंदी के बाद साहित्य प्रेमी पुनः इस आयोजन को करते आ रहे हैं। संयोजक डॉ नवचन्द्र तिवारी ने होली रस से सराबोर करते हुए ‘मेरे पास आओ, गले से लगाओ, मुहब्बत से बढ़कर नहीं रंग कोई’ सुनाकर तालियां बटोरी। डॉ कादंबनी सिंह ने वाह दुनिया तेरे सितम क्या क्या बोल कैसे निभे रसम क्या-क्या से मतलब परस्ती पर चोट कर वाहवाही लूटी। प्रेमचंद गुप्ता ने श्रोताओं को झुमाते हुए हम तो लुट गए दिल के बाजार में, बुरा हाल है होली के त्यौहार में से व्यवस्था पर तंज कसा। संगीत प्रशिक्षक डॉ अरविंद उपाध्याय से हनुमत ले के अबीर चल गइले ने अवध नगरिया सुनकर लोग भक्ति सागर में गोते लगाने लगे। डॉ फतेहचंद बेचैन ने चिर-परिचित अंदाज में नशा ना होई त पी के का होई, फाटल बा ई त सी के का होई सुनाकर भरपूर गुदगुदाया। श्याम वर्मा ने रसिया ना माने तोरा नैनों में डाले अबीर से माहौल में प्रेम रस परोसा। पंडित पारसनाथ उपाध्याय स्मृति ट्रस्ट की अध्यक्षा श्रीमती जया उपाध्याय ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस विशेष अवसर पर डॉ शिवकुमार कौशिकेय को महा बकलोलाधिराज, डॉ नवचंद्र तिवारी को बकालोलाधिराज, डॉ कादम्बिनी सिंह को महामूर्ख साम्राज्ञी, डॉ फतेहचंद बेचैन को मूर्खाधिराज व शिक्षक सुशील उपाध्याय को महामूर्ख सम्राट का ताज पहनाया गया। मौके पर कराटे प्रशिक्षक एल बी रावत, आनंद वर्मा, जयप्रकाश यादव, प्रतीक तिवारी, देवेशमणि उपाध्याय, व्यास जी पांडेय, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे। संचालन नवीन उपाध्याय ने किया। रामपुर महावल के प्रधान प्रतिनिधि अमलेश उपाध्याय ने सबका आभार व्यक्त किया।