
वैदिक मंत्रोचार संग मां सरस्वती का खुला पट
अबीर-गुलाल लगाकर श्रद्धालुओं ने गाए फाग
मां सरस्वती के जयकारे से गुंजायमान हुआ जनपद
जिले के 487 स्थानों पर स्थापित की गई मां सरस्वती की प्रतिमाएं
बलिया। विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का पट सोमवार की शाम वैदिक मंत्रोचार एवं हवन पूजन के साथ खोला गया। मां सरस्वती का पट खुलते ही जयकारे, शंख व घंट-घड़ियाल से वातावरण देवीमय हो गया। तत्पश्चात समिति के सदस्यों ने एक-दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर प्रसाद वितरण किया।वहीं ढोल के थाप पर लोगों ने पारम्परिक फाग गीत गाया। उधर, सुरक्षा के मद्देनजर नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकारी व पुलिसकर्मी चक्रमण करते रहे।
बता दे कि जनपद के 22 थाना अंतर्गत 487 स्थानों पर मां सरस्वती की प्रतिमा का पट वैदिक मंत्रोच्चार व हवन-पूजन के बाद खोला गया। वहीं, शिक्षण संस्थानों में भी मां सरस्वती की पूजन-अर्चन किया गया। इसके अलावा लोगों ने अपने-अपने घरों पर भी स्नान करने के बाद मां शारदे का विधिवत पूजन अर्चन किया और अबीर गुलाल लगाकर परिवार के सुख-समृद्घि की कामना की। पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनपद के 22 थाना क्षेत्र के कुल 487 स्थानों पर मां सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित की गई। इसमें शहर कोतवाली में 59, दुबहर में 32, गड़वार में 23, सुखपुरा में सात, बांसडीह में 11, बांसडीहरोड में 22, सहतवार में 12, मनियर में पांच, बैरिया में 38, दोकटी में 13, रेवती में 39, हल्दी में 21, फेफना में 32, नरहीं में 31, चितबड़ागांव में 25, खेजुरी में 11, पकड़ी में छह, रसड़ा में 29, नगरा में 10, भीमपुरा में 10, सिकंदरपुर में 32 व उभाव में 19 स्थानों पर मां सरस्वती की प्रतिमा का पट खोला गया। तत्पश्चात लोगों ने ढोल के थाप पर पारम्परिक फाग गीत गाया और एक-दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर एवं गले मिल बधाई दी। उधर, ध्वनि यंत्र से देवीमय गीत बज रहे थे।जिससे पूरा वातावरण देवीमय हो गया।